Book Title: Dharmavir Sudarshan
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 183
________________ उपसंहार - श्रद्धास्पद गणिवर्य श्याममुनि, भद्रस्वभावी गुण - धारी । पूज्य श्री के साथ हुआ है, चौमासा मंगल - कारी ॥ भारत-भूषण शतावधानी, रत्नचन्द्र जी गुजराती । साथ विराजे हैं सद्गुण की, ___ महिमा है अति मन - भाती ॥ पूज्य-पाद-पद्मालि 'अमर' मुनि, ने यह ग्रंथ बनाया है । सेठ सुदर्शन जी का जीवन, ___ चरित - काव्य में गाया है ॥ विक्रमाब्द शर निधिनिधि विधु में, ___शुक्ल अष्टमी मंगसिरमास । पूर्ण किया है नगर आगरा, 'लोहामंडी' में सोल्लास ।। - - १६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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