Book Title: Dharmavir Sudarshan
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 184
________________ परिशिष्ट (१) चमकते मोती ('धर्म-वीर सुदर्शन' तथा 'सत्य हरिश्चन्द्र' में से) अखिल विश्व में सब से ऊँचा जीवन, मानव जीवन है। मानवता ही सबसे बढ़कर, अजर, अमर अक्षय धन है ॥ मानव-तन पाकर भी जो नर, जीवन उच्च बना न सका । समझो चिन्तामणि पाकर वह, निज-रंकत्व छिपा न सका ! सज्जन औ, दुर्जन का अन्तर, स्पष्ट शास्त्र यह कहता है । एक प्रशंसा सुन हर्षित हो, एक दुःख में बहता है॥ प्राणों की आहुति देकर भी दुःखियों का दुःख दूर करे । हानि देखकर पर की सज्जन अपने मन में झूर मरे ॥ सागर-सम गम्भीर सज्जनों, ___का होता है अन्तस्तल । (२) (३) (४) - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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