________________ उपाध्याय अमर मुनि जो हमारे समाज के उन महापुरुषों में से एक हैं, जिन्होंने समाज के भविष्य को वर्तमान में ही अपनी भविष्यवाणी से साकार किया है / उन्होंने अपने जीवन की साधना से अतीत के अनुभवों का, वर्तमान के परिवर्तनों का और भविष्य की सुनहरी आशाओं का साक्षात्कार किया है। धर्म, दर्शन और संस्कृति की उन्होंने युगानुकूल व्याख्या की है। उन्होंने कहा है कि जो गल सड़ गया है, उसे फेंक दो और जो अच्छा है, उसकी रक्षा करो। उनकी इस बात को सुनकर कुछ लोग धर्म के खतरे का नारा लगाते हैं / इसका अर्थ केवल इतना ही हो सकता है कि उन लोगों का स्वार्थ खतरे में है, किन्तु धर्म तो स्वयं खतरों को दूर करने वाला अमर-तत्व है / Jain Education International For Private & Personal Use Only swww.jainelibrary.org,