________________
धर्म-वीर सुदर्शन धैर्य, दया, उपकार आदि गुण,
जीवन में हैं सुखकारी ॥ धर्म-कथा का पठन श्रवण,
कब अन्तर कलिमल धोता है ? जब चरित्र नायक का जीवन,
निज - जीवन में होता है । पाठक वृन्द ! आपसे केवल,
__यह मम नम्र निवेदन है । सदाचार के पथ पर चलिए,
सुधरे जिससे जीवन है ॥ स्थानकवासी-जैन-संघ में,
पूज्य 'मनोहर' बड़ - भागी । धीर, वीर, गम्भीर, संयमी,
हुए प्रतिष्ठित जग त्यागी ॥ कष्ट सहन कर किए अनेकों,
ग्राम नगर जन - प्रतिबोधित । गच्छ आपसे चला 'मनोहर',
संयम - पथ में अतिशोभित ॥ शास्त्राभ्यासी उग्र तपस्वी,
पूज्यश्री मुनि मोतीराम । उक्त गच्छ के थे अधिनायक,
पाया यश अनुपम अभिराम । अन्तेवासी श्रेष्ठ आपके,
पृथ्वीचन्द्र जी गुरुवर हैं। जैनाचार्य पदालंकृत हैं,
गच्छ मनोहर दिनकर हैं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org