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सर्ग सोलह
उपसंहार
पाठक वृन्द ! सुदर्शन जीवन,
पूर्ण आपके . सम्मुख है। आदि, मध्य, पर्यन्त जो कि,
सर्वत्र कुवृत्त पराङ्मुख है ॥ मानव-जीवन किस प्रकार से,
सफल बनाया जाता है ? सेठ सुदर्शन का जीवन,
बस वही प्रकार बताता है ।
विश्व-पूज्य मानव की केवल,
___ यही एक है दुर्बलता । कामवासना का दावानल,
मन में अति भीषण जलता ॥
श्रेष्ठी-सम जो काम-जयी बन,
मन पर अंकुश रखता है । वह नर, नारायण बनता है;
तीन लोक में पुजता है ॥
उक्त कथा के अन्य दृश्य भी,
शिक्षाप्रद हैं अति भारी ।
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