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धर्म-वीर सुदर्शन चित्त चमत्कृत हुआ मधुरतम,
गूंज उठा स्वागत संगीत ॥
पधारो, स्वागत, प्राणाधार ! अद्भुत धर्म-महत्व दिखाया, शली स्वसिन प्रगटाया, दर्शनार्थ सुरपति चल आया,
छोड़ कर देवालय दरबार !
पधारो, स्वागत, प्राणाधार ! अटल, अचल, दृढ अपने प्रण में, पैर न रक्खा पापाङ्गण में, गॅजी अधिकाधिक क्षण-क्षण में,
सत्य की अति पावन जयकार !
पधारो, स्वागत, प्राणाधार ! आध्यात्मिक बल कैसा भारी, अन्तर में दृढ़ समता धारी, भौतिक बल ने हिम्मत हारी,
देखकर स्तब्ध हुआ संसार!
पधारो, स्वागत, प्राणाधार ! कैसा प्रेम-पयोनिधि उमड़ा, दूर हुआ सब रगड़ा-झगड़ा, सत्य पुण्य-पथ सबने पकड़ा,
पाप का रहा नहीं कुविचार !
पधारो, स्वागत, प्राणाधार ! राष्ट्र - भाल उन्नत सगर्व है, मंत्र-मुग्ध जन-वृन्द सर्व है, आज प्रेम का परम पर्व है,
हर्ष का कुछ भी वार न पार ! पधारो, स्वागत, प्राणाधार !
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