________________
धर्म - वीर सुदर्शन
श्रावक के व्रत धारण कीने, पूर्ण
शील का नियम लिया ।
दोनों ने ही दुराचार का पंथ सदा को त्याग दिया ॥
आध्यात्मिक बल अनुपम बल है,
कहीं न इसकी समता है । पापात्मा को धर्मात्मा,
करने की अविचल क्षमता है ॥
दो जीवों का महाभयंकर,
पतन गर्त से कर उद्धार । क्षमा और कुरुणा के सागर, मुनि ने वन को किया विहार ॥
Jain Education International
१४६
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org