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3. अपनी कमाई का एक हिस्सा करुणा-भाव से ज़रूरतमंदों के लिए अवश्य समर्पित करें। अर्जित धन की शुद्धि के लिए दान और परोपकार ही श्रेष्ठ उपाय हैं।
4. सत्यम् शिवम् सुन्दरम् को धर्म-मंत्र की तरह अपनाएँ। सदा सच बोलें और सच्चाई को ही पसंद करें। सत्य में स्वयं ईश्वर का निवास होता है।
5. नशा नाश की निशानी है। स्वयं को नशे से दूर रखें। अगर कोई बुरी आदत पड़ भी गई हो, तो उसे मज़बूत मन के साथ त्यागने का संकल्प लें।
6. कर्त्तव्य-पालन से विमुख न हों। माता-पिता, भाई-बंधु की सेवा करना पहला कर्त्तव्य है, इंसान होकर इंसान के काम आना दूसरा कर्तव्य है, अपनी कमजोरियों पर विजय पाना तीसरा कर्तव्य है। ___7. अपने क्रोध को अपने काबू में रखते हुए मन की शांति को सर्वाधिक मूल्य दें। ऐसी कोई टिप्पणी न करें जिससे दूसरे की शांति खंडित हो।
8. सभी धर्मों का सम्मान करें। हर धर्म में अच्छे संत, विचारक और चमत्कारी लोग हैं । हमें हर धर्म की उन अच्छी बातों को उदारता पूर्वक ग्रहण करना चाहिए, जिनसे हमारा कल्याण होता हो।
9.रात को सोने से पूर्व प्रतिदिन यह प्रार्थना करें - हे प्रभु! मेरे द्वारा दिनभर में किसी भी प्रकार का ग़लत चिंतन हुआ हो, ग़लत वचन निकला हो या ग़लत कर्म अथवा व्यवहार हुआ हो, तो उसके लिए मैं क्षमा-प्रार्थना करता हूँ।
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