________________ धर्म मनुष्य के लिए जन्मा है, न कि मनुष्य धर्म के लिए / धर्म वही है जिससे इंसानियत का भला हो। धर्म के नाम पर अनेक तरह के तौर-तरीके चलते हैं, पर यदि वे तौर-तरीके हमारे विचार, वाणी और व्यवहार को पॉजिटीव न बना पाएँ तो इसका अर्थ है उस सिस्टम में आवश्यक बदलाव लाया जाए। प्रसिद्ध धर्मगुरु महान राष्ट्र-संत पूज्य श्री चन्द्रप्रभ ने धर्म की उन बातों पर अपना प्रकाश डाला है जो धर्म के कठिन स्वरूप को सरल बनाता है और व्यक्ति का अनायास ही धर्म में प्रवेश करवाता है। यह छोटी-सी प्यारी पुस्तक हमारे लिए धर्म की टॉर्च का काम करती है। आप इसे मनोयोगपूर्वक पढ़ते जाइए। इस किताब का एक-एक चेप्टर आपके लिए द्वार का काम करेगा और आप अनायास साधारण से असाधारण चेतना के मालिक होते जाएँगे। फिर आपके क़दम ख़ुद-ब-ख़ुद आज़ाद पंछी की तरह मुक्त हो जाएंगे। COJU U Rs25/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org