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दूसरे ने कहा, 'यह क्या धंधा हुआ, कोलतार भी जाएगा और मेहनत भी व्यर्थ लगेगी।
पहले ने कहा, 'यहाँ तक तो घर का ही लगने वाला है, लेकिन धंधा तो अब होगा। अगले दिन हम दोनों कहेंगे कि कोलतार साफ करा लो, कोलतार, कोलतार....।'
धर्म के नाम पर चलने वाले धंधों और प्रलोभनों ने व्यक्ति को अज्ञान दिया है, मिथ्यामति और मिथ्यागति दी है। भगवान कहते हैं, 'धर्म तुम्हारे जीवन का उत्कृष्ट मंगल है। धन से व्यक्ति सुखी होता है और आत्मस्थित होने से वह आनंदित होता है। धन से सुविधाएँ मिल सकती हैं, शांति नहीं। शांति तो तभी मिलेगी, जब तुम्हारा जीवन मंगलमय होगा। ____ हमारे यहाँ तो जुगाड़ लगाई जाती है। अमेरिका से एक वैज्ञानिक अपना नवीनतम कम्प्यूटर लेकर आया। वह यहाँ उन्नत प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना चाहता है। उसने कम्प्यूटर चालू किया, लेकिन स्क्रीन पर कुछ दिखाई न दे। बहुत कोशिश की पर नाकामयाब। तब भारत के वैज्ञानिक को बुलाया गया। उसने कुछ तार निकाले, कुछ इधर से उधर, उधर से इधर जोड़े कि स्क्रीन पर सब दिखाई देने लग गया। अमेरिकी वैज्ञानिक ने पूछा, 'यह कौन-सी टैक्नोलॉजी है।' 'जुगाड़ टैक्नोलॉजी' भारतीय वैज्ञानिक ने जवाब दिया।
अब उसे पाकिस्तान जाना था तो वह कार में सवार हुआ। यह क्या, कार भी नहीं चल रही। एक मैकेनिक को बुलाया गया। उसने कार पर हथौड़े चलाए। अमरीकी घबराया कि उसकी कार गई, पर क्या कर सकता था। मैकेनिक ने दो-चार हथौड़े चलाए, कुछ तार इधर-उधर किए, कुछ ठोक-पीट की और कार चल पड़ी। वैज्ञानिक हैरान, उसने पूछा, 'यह कौनसी टैक्नोलॉजी है।' फिर वही उत्तर–'जुगाड़ टेक्नोलॉजी'।
जब वह वापस अमेरिका पहुँचा तो राष्ट्रपति को फोन किया कि 'हम भारत से जुगाड़ टैक्नोलॉजी आयात करें, बड़े काम की और कीमिया चीज है।' राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री से आयात के संबंध में बात की। प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह टैक्नोलॉजी हर्गिज निर्यात नहीं की जाएगी। पूछा गया क्यों ? प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, क्योंकि इसी से तो मेरी सरकार चल रही है।
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धर्म, आखिर क्या है?
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