Book Title: Dharm Aakhir Kya Hai
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 131
________________ भगवान कहते हैं स्वभाव की प्रचंडता और वैर की मजबूत गाँठ जन्मों-जन्मों तक चलती रहती है। छोटी-सी वैर की गाँठ–'अण थोवं, वण थोवं, अग्गि थोवं, कषाय थोवं च।' छोटी-सी चिंगारी कब दावानल का रूप ले ले, पता नहीं चलता। वैसे ही कषाय की छोटी-सी गाँठ कब विराट और विकृत रूप ले ले, मनुष्य को पता नहीं लगता। कभी कोई छोटी-सी बात, अंगारे की तरह सदा-सदा सुलगती रहती है और तुम बदला लेने को आतुर रहते हो। कृष्ण लेश्या से भरा आदमी प्रतिक्रिया से संचालित होता है। विनम्र अपने बोध से जीता है। कृष्ण लेश्या की तीसरी पहचान है—'झगड़ालू वृत्ति' । लोग झगड़ा करने को उत्सुक और तत्पर रहते हैं। जैसे कह रहे हों आ बैल मुझे मार। झगड़ा उनका स्वभाव बन जाता है। छोटी-छोटी बातों पर लड़ना-झगड़ना। लगता है झगड़ना ही उनका काम रह गया है, झगड़ना ही उनकी प्रवृत्ति बन चुकी है। एक बार ऐसा ही हुआ। कहते हैं : एक निःसंतान दंपति को किसी ज्योतिषी ने जन्म-पत्री देखकर कहा कि नौ माह बाद तुम्हें पुत्र-प्राप्ति होगी। दोनों घर आए और लगे भविष्य की योजना बनाने कि उसे कैसे, कहाँ पालेंगे; उसके लिए क्या-क्या करेंगे; उसे कहाँ पढ़ाएँगे; जन्मदिन कैसे मनाएँगे; किन-किन मेहमानों को बुलाएँगे। सबकुछ तय हो गया। इतने में उसकी उच्च शिक्षा की बात हुई। पिता ने कहा कि मैं तो उसे वकील बनाऊँगा। पत्नी उसे डॉक्टर बनाना चाहती थी। बात बढ़ गई मगर दोनों अपनी-अपनी राय पर कायम। कुछ दिनों में मामले ने इतना तूल पकड़ा कि बात तलाक तक जा पहुँची। ___अदालत में अर्जियाँ दे दी गईं। दोनों ने अपने पक्ष प्रस्तुत किए। पिता ने कहा कि मैं पिता हूँ इसलिए जैसी चाहूँगा, वैसी शिक्षा दूंगा। उसे एडवोकेट ही बनाऊँगा। माँ अड़ गई कि वह भी माँ है, उसका भी बच्चे पर पूरा हक है। वह तो उसे डॉक्टर ही बनाएगी। जज परेशान, उसने कहा, 'आप लोग शांत हो जाइए, मैं बच्चे को बुलाता हूँ, उसी से पूछ लेते हैं कि वह क्या बनना चाहता है ?' दोनों बगलें झाँकने लगे। कहा, बच्चा तो अभी तक ज्योतिषी की जन्मपत्री में है। ___जब दो व्यक्ति लड़ते हैं, विवाद करते हैं तो जरूरी नहीं कि वह विवाद सत्य के लिए ही हो। वे तो अपने पक्ष सिद्ध करते हैं। तुम वादी-विवादी नहीं, 122 धर्म, आखिर क्या है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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