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तमस् छूट गया, प्रकाश उपलब्ध हो गया। उसी को कहते हैं कैवल्य अवस्था, सिद्ध-बुद्ध-मुक्त अवस्था।
'जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ'। उबरता वही है जो पानी में उतरता है, पाता वही है जो डुबकी लगाता है। बस, चाहिए भावों में भद्रता, श्रेय के प्रति सजगता और जीवन में सरलता। जो समझ सके, उसके लिए इतना पर्याप्त है।
लेश्याओं के पार धर्मका जगत
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