Book Title: Dharm Aakhir Kya Hai
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 162
________________ धर्म आखिर क्या है? धर्म आखिर क्या है? यह बहुत ही विकट प्रश्न है। समय-समय पर इस रहस्यमयी सवाल के जवाब दिये जाते रहे हैं। फिर भी यह अनुत्तरित रहा है। महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी ने इस रहस्य पर से परदा उठाया है इस दिव्य पुस्तक में। उन्होंने भगवान महावीर के सूत्रों पर अमृत प्रवचन दिये हैं जिनका चिंतन, मनन और अनुशरण कर मानव दुःख से मुक्त होकर धर्म-पथ पर अग्रसर हो सकता है। पूज्य श्री ललितप्रभ के संदेश धर्म के नाम इंसान को करीब लाते हैं उनकी नज़र में धर्म मानवता की मुंडेर पर मोहब्बत का जलता चिराग है। ___जीवन की वर्तमान त्रासदियों से उबरने के लिए प्रस्तुत ग्रंथ किसी तट का काम करता है। धर्म हमारे जीवन की रोशनी बने, प्रेरणा बने, सुख-शांति पूर्वक जीने का आधार बने - यही धर्म पर दिये गये इन संदेशों का मर्म है। महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर महाराज आज देश के नामचीन विचारक संतों में हैं। प्रभावी व्यक्तित्व, बूंदबूंद अमृतघुली आवाज, सरल, विनम्र और विश्वास भरे व्यवहार के मालिक पूज्य गुरुदेव श्री ललितप्रभ मौलिक चिंतन और दिव्य ज्ञान के द्वारा लाखों लोगों का जीवन रूपांतरण कर रहे हैं। उनके ओजस्वी प्रवचन हमें उत्तम व्यक्ति बनने की समझ देते हैं। अपनी प्रभावी प्रवचन शैली के लिए देश भर के हर कौम-पंथ-परम्परा में लोकप्रिय इस आत्मयोगी संत का शांत चेहरा, सहज भोलापन और रोम-रोम से छलकने वाली मधुर मुस्कान इनकी ज्ञानसम्पदा से भी ज्यादा प्रभावी है। Rs. 30/ www.jainelibrary.org 9329 Jain Education International For Personal & Private Use Only

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