Book Title: Dharm Aakhir Kya Hai
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 137
________________ सब गया, सब लेश्याएँ समाप्त हो गईं। कृष्ण लेश्या तो गई ही, श्वेत लेश्या भी न रही। काले पर्दे तो उठे, सफेद पर्दे भी उठ गए, कोई पर्दा ही नहीं रहा। ___ पतंजलि कहते हैं कि ऊर्जा षट्-चक्रों का भेदन कर सहसार में पहुँचती है और महावीर कहते हैं छः लेश्याओं के पार साधक वीतरागता को उपलब्ध होता है। लेकिन कृष्ण लेश्या में दबे हुए आदमी के जीवन में वसंत आता ही नहीं। उसके चित्त में सदा लोभ लगा ही रहता है। जब धन और जीवन में से किसी एक को चुनना हो तो तुम धन चुनते हो, जीवन नहीं। तुम्हारा लोभ बहुत गहरा है। ____ मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन टैक्सी से पहाड़ों की यात्रा करने के लिए गया। वह शिखर तक पहुँच गया। फिर लौटने की बारी आई। यात्रा सम्पन्न हुई। ढलान से उतरते हुए अचानक टैक्सी का ब्रेक खराब हो गया। ढलान बहुत तेज थी। ड्राइवर घबराया और उसने पूछा, मुल्लाजी ! गाड़ी का ब्रेक खराब हो गया है, गाड़ी नियंत्रण के बाहर होती जा रही है, मैं क्या करूँ? नसरुद्दीन ने कहा, 'सबसे पहले मीटर बंद करो, फिर जो चाहे करना।' यह मनुष्य की लोभ-वृत्ति है। अपने भीतर के इस चिंतन को देखो, इसी से कृष्ण लेश्या बनती है। ___मुल्ला का बेटा बड़ा हो गया था। एक दिन उसने अपने पिताजी से पूछा कि दाँतों का डॉक्टर बनूँ या कानों का ? मुल्ला ने कहा, 'मेरा बेटा होकर ऐसी नासमझी की बात पूछ रहा है। अरे, डॉक्टर ही बनना है तो दाँतों का डॉक्टर बन।' बेटे ने पूछा, 'क्यों ?' नसरुद्दीन ने कहा, 'बेटा ! कान तो दो ही होते हैं और दाँत बत्तीस। ___अगर भीतर लोभ है तो हर तरफ लोभ ही छाया रहेगा। तुम्हारे सभी निर्णय, तुम्हारा कहना-बोलना, चलना-फिरना सभी लोभ से परिचालित होंगे। चौबीस घंटे में तुम्हारा शायद ही कोई कृत्य ऐसा हो जो लोभ से मुक्त हो। तुम्हारा तो मंदिर भी जाना, दुकान पर ही जाना है। वहाँ भी सौदा, एक पैसा देकर लाख की कामना। किसी मुकदमे में जीत जाऊँ, खूबसूरत पत्नी मिल जाये या पुत्र आज्ञाकारी हो जाए और भी न जाने कितने लोभ, मकान बन जाए, दुकान चल जाए....। जब मैं ध्यान की बातें कहता हूँ तो लोग पूछते हैं कि क्या मिलेगा; प्रार्थना भी करेंगे तो पूछेगे कि इससे क्या मिलेगा ? तुम्हारे धर्म, आखिर क्या है ? 128 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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