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भोजन आएगा, समतापूर्वक स्वीकार कर लूँगा। सच कहता हूँ, आपकी तपस्या सध गई। ____ भोजन बनाते समय भी जागरूकता जरूरी है। ऐसा न हो कि भोजन बनाने को भट्टी जलाओ और उसमें कई जीव-जन्तु मर जाएँ। मैंने देखा है कि लोग बड़ी तपस्या के पारणे के दिन जीमणवारी के लिए आधी रात से ही भोजन बनाने की भट्टियाँ जलाने लगते हैं। लेकिन वे यह नहीं देखते कि इन भट्टियों के जलने से कितने जीवों की हिंसा मिठाइयों में हो रही है। तेज लाइटों में मच्छर आते हैं और वे गिर कर मर जाते हैं।
___ तपस्या पर भोजन करो तो यह भी ध्यान रखो कि उसके कारण कहीं हिंसा तो नहीं हो रही है। मास-क्षमण करो तो आरम्भ-समारम्भ से बचने की कोशिश करो। तप तो महावीर ने भी खूब किए थे, मगर वे सम्पूर्णतया हृदय-शुद्धि और आत्म-मुक्ति के लिए थे। तपस्या करो तो अपने भीतर उतरो। संकल्प करो कि शान्ति और समता रखोगे, तभी जीवंत तपस्या होगी। ऐसा एक भी उपवास कर लिया तो जीवन के उद्धार के लिए काफी होगा। प्रभु कहते हैं क्षमा में जीना ही मास-क्षमण है। काश ! हम ऐसा उपवास कर पाएँ, ताकि हमारा जीवन धन्य हो सके और उपवास केवल तन तक ही नहीं, मन पर भी अपना प्रभाव छोड़ जाए। तन की शुद्धि और मन की शांति-हर तप के पीछे यह विवेक रहे।
तप का ध्येय पहचानें
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