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कर्म : बंधन और मुक्ति ------
जब मनुष्य का जन्म होता है, तब वह नितांत अकेला आता है।
'माता-पिता, धन-संपत्ति, परिवार-समाज, कुछ भी उसके साथ नहीं आता। और जब वह इस संसार से कूच करता है, तब भी वह एकदम अकेला होता है, कुछ भी उसके साथ नहीं जाता है। आखिर वह क्या है जो जन्म और मृत्यु दोनों समय साथ होता है। यहाँ तक कि यह शरीर जो जन्म लेता है वह भी निष्प्राण यहीं पड़ा रह जाता है। फिर वह कौन-सा तत्त्व है जो आते और जाते समय विद्यमान रहता है ? एकमात्र मनुष्य के कर्म ही हैं जो जन्म के समय साथ आते हैं और मृत्यु के समय साथ जाते हैं। इसलिए हमारे जीवन में हमारा निकटवर्ती अगर कुछ है तो वह है हमारे कर्म। कर्म ही सदा कर्ता का अनुगमन करता है। ___ मनुष्य ही कर्म का बंधन करता है और वह ही उन कर्मों का भोक्ता है। दुनिया की अन्य सभी चीजें शायद पर के निमित्त से साथ आती होंगी, लेकिन कर्म एक ऐसा तत्त्व है जो मनुष्य के साथ आता है और जाता है। हाँ, मनुष्य ही अपने कर्मों का निर्माता है और उसके फलों का भोक्ता भी। कर्म-बंधन भी मनुष्य खुद ही करता है और उनसे मुक्ति भी वह ही पाता है। ये मनुष्य के कर्म ही हैं जो उसे सुख और दुःख देते हैं। तुम क्या साथ लेकर आए होकर्म : बंधन और मुक्ति
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