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सो जाते हैं, कल सुबह चले जाएँगे वापस अपने गाँव। खीर उन्होंने पेट भर खाई थी फिर भी एक प्याला खीर बच गई। 'अब तो पेट में जगह नहीं है, सुबह उठकर खा लेंगे', एक ने कहा। दूसरा बोला, 'लेकिन खीर तो एक प्याला है और खाने वाले तीन, फैसला हो जाए कि सुबह कौन खाएगा ?' दोस्त ने कहा, 'अब इसमें फैसला क्या करना ? रात में जिसको सबसे अच्छा सपना आएगा वही खीर खा लेगा। सुबह सब अपने-अपने सपने सुना देंगे।' यह तो बहुत अच्छी बात थी, तीनों को जम गई और तीनों सो गए।
रात तीन-चार बजे होंगे, एक मित्र उठा, सोचा, पता नहीं कौन कैसा, क्या सपना बताए और कौन निर्धारण करेगा कि किसका सपना अच्छा ? बस खिड़की में से उसने खीर का प्याला उठाया और सारी खीर खा गया। खीर खाकर फिर सो गया। सुबह हुई, दोस्तों ने कहा, 'अपने-अपने सपने सुनाओ। ___एक दोस्त ने कहना शुरू किया, 'रात को सपने में मुझे भगवान राम अयोध्या ले गए। माता सीता के दर्शन कराये। पिता दशरथ से मिलवाया और पूरी अयोध्या नगरी का भ्रमण कराया। माता सीता ने अपने हाथ से मुझे भोजन कराया, मैं कितना पवित्र हो गया। मुझसे अच्छा सपना किसी ने न देखा होगा। मैंने सभी के दर्शन कर लिए। अब खीर का प्याला मैं खाऊँगा।'
दूसरे ने कहा, 'अब तू बैठ जा, तूने मेरा सपना अभी कहाँ सुना है। जरा मेरा सपना भी तो सुन। रात को भगवान शिव आए और मुझे हिमालय ले गए। वहाँ उन्होंने मुझे सभी तीर्थों के दर्शन कराए, चारों धाम दिखाए, माँ पार्वती के दर्शन कराए। मैं तो सभी के दर्शन कर आया हूँ। कैलाश के दर्शन, अष्टापट पर आदिनाथ के दर्शन। मुझ जैसा तेरा सपना नहीं है, इसलिए खीर मैं खाऊँगा। दोनों झगड़ने लगे। दोनों अपने-अपने सपने को श्रेष्ठ बताने लगे। इतने में तीसरे ने कहा, 'तुम दोनों शांत हो जाओ और मेरा सपना भी सुन लो। ___ उसने कहना शुरू किया, 'मैं तो रात भर आराम से सोया था कि अचानक हनुमानजी गदा लेकर आए और धमका कर कहने लगे कि खड़ा हो जा। मैंने कहा कि हनुमानजी, आपकी अप्रसन्नता का कारण क्या है ? उन्होंने मुझे गदा दिखाई। मैं चुपचाप हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। दोस्तों ने धार्मिक जगे, अधार्मिक सोए
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