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महानता
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महान विद्वान डिडेरो के सन्निकट एक युवक आया और कहा-"मैं एक लेखक हूँ। मैंने एक पुस्तक लिखी है, मैं चाहता हूँ कि मुद्रण के पूर्व आप उसे एक बार भली प्रकार देख लें।"
डिडेरो ने कहा- "मैं इसे अच्छी तरह से पढ़ लूँगा, तुम पुनः इसे कल ले जाना ।"
जब दूसरे दिन वह लेखक आया तब डिडेरो ने कहा - "मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि तुमने मुझे लक्ष्य बनाकर प्रस्तुत पुस्तक में मेरी खूब मखौल की है। मुझे बहुत गालियाँ दी हैं, पर जरा यह तो बताओ कि इससे तुम्हें क्या लाभ होगा?" २ बिन्दु में सिन्धु
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