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जिज्ञासा : प्रगति का मूल
लुकमान जाना माना हुआ महान हकीम था । उससे किसी ने पूछा--आपने इतना अदब, इतनी तहजीब किससे सीखी है ?
उत्तर में लुकमान ने कहा "बेअदबों से ! बेहतजीबों से !"
प्रश्नकर्ता असमंजस में पड़ गया। वह बोला-यह किस प्रकार सम्भव है ? भला उनसे कोई क्या सीख सकता है ? __ मुस्कराते हुए लुकमान ने कहा—इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है । मैंने जिनमें जो खराब बातें देखीं उनसे अपने आपको सदा बचाने का प्रयास किया । जिस व्यक्ति को सीखना है वह तो जीवन की साधारण घटना से भी बहुत कुछ सीख सकता है और जिसमें जिज्ञासा का अभाव है, उसे चाहे जितना उपदेश भी दिया जाय तो भी वह कुछ नहीं सीख सकता।
बिन्दु में सिन्धु
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