Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 106
________________ मुझे प्यास लगी है, पानी चाहिए-व्हेनसांग ने पुनः कहा-वह मन में चिन्तन करने लगा कि यह कैसा विचित्र देश है । जहाँ पर बिल्कुल ही अपरिचित व्यक्ति का इतना सत्कार किया जाता है । यह बिना माँगे दूध लाया है, जब कि मेरे देश में अपरिचित व्यक्ति इस प्रकार किसी के घर पर पानी माँगे तो उसे जान से मारने का प्रयास किया जाता है। गृहस्वामी पुनः लौटकर आया, उसके हाथ में दही के मठे का गिलास चमक रहा था । व्हेनसांग झुझलाया-मैंने आपसे पानी माँगा था, दूध या दही नहीं। गृहस्वामी उलटे पैरों लौट गया तीसरी बार उसके हाथ में शर्बत की ग्लास थी। व्हेनसांग विचारने लगा यह कैसा विचित्र आदमी है। मैं पानी माँग रहा हूँ और यह शरबत की ग्लास लाया है । उसने अपनी बात दुहराई। ___गृहस्वामी ने कहा-ज्ञात होता है कि आप भारत के नहीं है । भारत में किसी भी घर पर पहली बार अतिथि को केवल पानी नहीं पिलाया जाता । यहाँ पर अतिथि को देव मानकर उसकी उपासना करते हैं । केवल पानी के लिए नदी, तालाब, कुए की कहाँ कमी है ? K बिन्दु में सिन्धु १३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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