Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 105
________________ अतिथि देवो भव ____ व्हेनसाँग गोबी का छोटा-सा रेगिस्तान और मंचूरिया एवं तिब्बत के खड़े पठार पारकर भारत पहुँचा । भीष्मग्रीष्म का समय था । चिलचिलाती धूप गिर रही थी। उसका शरीर पसीने से तरबतर था । वह पंजाब के एक छोटे से गाँव में पहुँचा । उसने एक मकान का द्वार खटखटाया। घर मालिक ने द्वार खोला। उस अपरिचित व्यक्ति को देख कर उसने नमस्कार कर कहा आइए, यहाँ पर विराजिए। ___व्हेनसांग ने कहा-मुझे बहुत तेज प्यास लग रही है, कृपया जरा-सा पानी ला दीजिए । गृहस्वामी घर में जाकर बढ़िया दूध का ग्लास भर कर ले आया । ६२ बिन्दु में सिन्धु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116