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आपने ही इसको बनाया है, आपकी पत्नी इसकी साक्षी हैं, उसने मुझे कहा है कि पिकासो ने यह चित्र मेरी नजरों के सामने ही बनाया है।
उसी समय किसी कार्य-वश पिकासो की पत्नी भी वहाँ पर आ गई। उसने भी जोर देकर कहा- "आप भूल रहे हैं, मैं कहतो हूँ कि यह चित्र आपने मेरे सामने बनाया है।
पिकासो ने मुस्कराते हुए कहा-"बनाया तो मैंने है, पर यह असली नहीं है।"
खरीददार ने कहा--"क्या आप मेरे साथ उपहास कर रहे हैं, जब आपने ही इसे बनाया है, फिर असली नहीं, यह कैसे ?
पिकासो ने रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा-“यह उपहास नहीं है मित्र ! पर, यह सत्य-तथ्य है। ऐसा चित्र एक बार पहले भी मैंने बनाया था, यह चित्र उसी की प्रतिकृति है, मूल चित्र नहीं है। यदि अन्य व्यक्ति प्रतिकृति बनाता है, तो वह प्रामाणिक नहीं होती, फिर मैं स्वयं नकल करूं तो वह प्रामाणिक कैसे होगी ? वस्तुतः तो पहला चित्र ही प्रामाणिक है।
खरीददार और उसकी पत्नी को तब समझ में आया कि पिकासो की असली और नकली की परिभाषा क्या है ?
बिन्दु में सिन्धु
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