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प्रदर्शन
सामाजिक जीवन में दिन-प्रतिदिन प्रदर्शन की मात्रा बढ़ रही है। कभी-कभी अपने जीवन का सर्वस्व होम कर भी प्रदर्शन किया जाता है । एक लोक कथा है।
एक गरीब की स्त्री किसी सेठ के यहाँ पर गई। सेठाणी ने उसी दिन बहुत ही बढ़िया हाथी दाँत का चूडा पहना था । अड़ोस-पड़ोस की स्त्रियाँ उसे देखने हेतु आ रही थीं और सेठाणी को बधाइयाँ दे रही थीं। उस गरीब स्त्री ८४ बिन्दु में सिन्धु
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