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अचल-आस्था
भारतीय इतिहास में चाणक्य का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। चाणक्य के मार्ग-दर्शन से ही सम्राट चन्द्रगुप्त अपना साम्राज्य स्थिर कर सके थे।
युद्ध चल रहा था, किसी ने चाणक्य से आकर कहा"मंत्री प्रवर ! आपके साथियों ने ही आपको धोखा दिया है। वे आपके शत्रुओं के दल में जा मिले हैं। आपकी सेना भी आपका साथ छोड़कर, शत्र दल में जाकर मिलना चाहती है।"
चाणक्य अपनी पूर्ववत् मस्ती में झूमते हुए बोले"यदि किसी अन्य को भी शत्रु के पक्ष में जाना है, तो जा सकता है । मुझे इसकी बिलकुल ही चिन्ता नहीं है। केवल मेरी बुद्धि मेरे पास रही तो, मैं सब कुछ कर सकता हूँ।"
बिन्दु में सिन्धु
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