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महान त्यागी कौन ?
निर्जन जंगल में एक योगी ध्यान साधना कर रहा था । शिकार के लिए एक राजा उस जंगल में पहुँचा, योगी को देखकर उसने नमस्कार किया और उपदेश सुनने की इच्छा से वह सामने बैठ गया ।
ध्यान से निवृत्त होकर योगी ने पूछा- राजन् ! तुमने मेरा इतना सम्मान क्यों किया ?
राजा ने करबद्ध होकर कहा - भगवन् ! आपने धन वैभव, परिवार और क्रोधादि विकारों का त्याग किया है । तप जप की साधना करते हैं, आप साक्षात् भगवान तुल्य हैं, इसलिए मैं तो क्या सारा संसार आपको नमस्कार करता है ।
योगी ने स्मित मुस्कान के साथ कहा - यदि त्याग को लक्ष्य में लेकर ही तुम मेरा सम्मान करते हो तो मुझे तुम्हारे चरण प्रक्षालन करने चाहिए क्योंकि तुम संसार के सभी योगियों से महान् त्यागी हो, तुम्हारे त्याग की तुलना ही नहीं हो सकती ।
बिन्दु में सिन्धु
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