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डार्विन का सिद्धान्त असत्य है।
आम के वृक्ष पर बन्दर की एक टोली एकत्रित हुई। नीचे विद्यार्थी पढ़ रहे थे कि "डाविन का मन्तव्य है कि मनुष्य बन्दर की सन्तान है।"
यह सुनते ही एक वृद्ध बन्दर ने कहा- “यह बात हमारे लिए अत्यन्त ही अपमानजनक है।” देखिए–“आज दिन तक किसी भी बन्दर ने बीड़ी नहीं पी, सिगरेट नहीं सुलगाई, शराब नहीं पी, उसने जुआ नहीं खेला, वह कभी परस्त्री के पीछे ललचाया नहीं, उसने अनावश्यक संग्रह नहीं किया है, उसने आज तक अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण भी नहीं किया है और कभी अपने दोषों को छिपाने की कोशिश ही नहीं की। अब आप ही बताइये कि मनुष्य हमारी सन्तान कैसे हो सकती है। अतः डार्विन का सिद्धान्त गलत है।"
बिन्दु में सिन्धु २९
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