Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 66
________________ उसने कहा-"चाहे रुग्ण व्यक्ति मर जाय, तो भी आप नहीं आ सकते ?" डॉक्टर ने कहा- "विशेष बोलने की आवश्यकता नहीं है, एस्प्रीन की गोलियाँ उसे दे देना।" "क्या इसका यही उपाय है ?" "मैं नहीं जानता, तुम यहाँ से चले जाओ।" "डॉक्टर, जरा सोच लो, तुम किससे बात कर रहे हो।" डॉक्टर ने अपशब्द कहकर आवाज दी कि इस पागल को पागलखाने में भिजवा दो। पलक झपकते ही उस व्यक्ति ने अपना चोंगा उतार दिया। ___डॉक्टर के सम्मुख अब वह साधारण व्यक्ति नहीं किन्तु सैनिक वर्दी में एक कर्नल खड़ा था। उसकी आँखों में से अंगारे बरस रहे थे। उसने कहा-"डॉक्टर ! अब तुम्हारे लिए लिबिया में में कोई स्थान नहीं है । मैं इस अस्पताल का अधिकारी नहीं किन्तु देश का अधिकारी हूँ, जो कर्तव्य से मुंह मोड़ते हैं, उसके लिए इस देश में स्थान नहीं है । वह था लिबिया का राष्ट्रपति कर्नल कदाफी। ॐ बिन्दु में सिन्धु Jain Education International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org


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