Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 71
________________ स्वाबलम्बी लिंकन प्रातः कालीन दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अब्राहिम लिंकन अपने जूतों पर पॉलिश कर रहे थे। इतने में उनका एक मित्र आया, वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया । उसने साश्वर्यं पूछा - "आप यह क्या कर रहे हैं ? क्या राष्ट्रपति को भी अपने जूतों पर पॉलिश करनी पड़ती है ?" राष्ट्रपति लिंकन ने तुरन्त ही कहा- "तो क्या आपको दूसरों के जूतों पर पॉलिश करनी पड़ती है ?" सारा कमरा कह-कहों से गूँज उठा । सबके हँसी के फब्बारे छूट पड़े । उस मित्र ने लजाते हुए कहा – “मैं तो अपने जूतों पर भी दूसरों से पॉलिश करवाता हूँ ।" - लिंकन ने धीरे से कहा - " मित्र ! दूसरों से अपने जूतों पर पॉलिश करवाना, यह तो बहुत ही बुरी बात है । इतने से छोटे कार्य के लिए भी हम यदि पराश्रित बनेंगे, तो हमारा जीवन दुःखमय हो जायगा ।" मित्र, लिंकन की तत्व भरी बात का प्रत्युत्तर नहीं दे सका । बिन्दु में सिन्धु ५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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