Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 59
________________ चुप रहना सीखो ___ एक अध्यापक गधे को बोलना सिखा रहा था, वह सुबह से लेकर शाम तक मेहनत करता, उसे पढ़ाने के लिए उसने अपनी जितनी भी शक्ति थी, उसका उपयोग किया तथापि सफलता प्राप्त नहीं हुई। उस अध्यापक के कठोर परिश्रम को देखकर एक विद्वान को हँसी आगई ? अध्यापक ने पूछा-क्या बात है ? विद्वान ने धीरे से कहा भाई ! तुमने बहुत श्रम किया है, किन्तु यह गधा तुमसे बोलना नहीं सीख सका तो मेरी दृष्टि से यही श्रेष्ठ है कि तुम इससे चुप रहना सीख लो । निरर्थक बकवास को अपेक्षा पशु के समान चुप रहना, कहीं अधिक अच्छा है। ४६ बिन्दु में सिन्धु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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