Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 60
________________ दुःख की कल्पना मिस्र में एक बार भयंकर दुष्काल गिरा, उस समय वहाँ के खलीफा हजरत युसूफ सिद्दीक ने जनता की मन लगाकर सेवा की । वे स्वयं एक समय भोजन करते और वह भोजन भी आधा ही । लोगों ने उनसे प्रार्थना की-हजरत ! अपने यहाँ पर अन्न के भण्डार भरे हुए हैं, अनाज की कमी नहीं है, तथापि आप भूखे क्यों रहते हैं ? हजरत ने कहा-इसका एक रहस्य है-हमारे देश के लाखों लोग भूख से छटपटा रहे हैं, उन्हें खाने को नहीं मिल रहा है, उनके दुःख की सदा स्मृति बनी रहे एतदर्थ मैं भूखा रहता हूँ । यदि मेरा मिष्टान्नों से पेट भरा रहेगा, तो मैं उनके दुःख की कल्पना नहीं कर सकता। बिन्दु में सिन्धु ४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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