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देव बनना है या दानव ?
विनोबा भावे जब बालक थे। उनके घर के आंगन में एक पपीते का वृक्ष था। विनोबा उसे प्रतिदिन पानी पिलाते । उसमें फल लगे। विनोबा का मन कच्चे फल हो खाने को ललचाया। पर माँ ने कहा-"बेटा ! कच्चे फल नहीं खाये जाते ।" लम्बी प्रतीक्षा के पश्चात् फल पके ।
विनोबा ने दो फल तोड़े और उन्हें अच्छी तरह से काटा और फाँकों को संवार कर थाल में सजाया। विनोबा के मन में अपनी मेहनत के फल चखने की अत्यधिक उत्सुकता ३० बिन्दु में सिन्धु
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