Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 46
________________ लोग सोये हुए पड़े हैं, उन्हें खूब गालियाँ दो, पत्थर फेंककर उनका अपमान करो। उसके पश्चात् मेरे पास आओ।" शिष्य ने कब्रिस्तान में पहुँचकर खूब गालियाँ दी, पत्थर फेंके, फिर गुरु के पास आकर बोला-“मैं आपके आदेशानुसार कार्य करके आया हूँ।" । गुरु ने फिर आदेश दिया-"अब फिर उसी कब्रिस्तान में जाकर उनकी खूब प्रशंसा करो और उन पर फूल चढ़ाओ। वह गुरु के आदेशानुसार कार्य करके लौट आया। ___ गुरु ने कहा- "तुमने जब उनकी निन्दा की, गालियाँ दी, उन पर पत्थरों की बौछार की तब उन्होंने तुमसे कुछ कहा था ? और जब उनकी प्रशंसा की, उन पर फूल चढ़ाए तब उन्होंने कुछ कहा ? शिष्य ने नम्रतापूर्वक उत्तर दिया-"उन्होंने कुछ भी नहीं कहा । वे तो शान्त रहे।" सन्त मकारियो ने मुक्ति का मार्ग बताया- "कब्रिस्तान के मुर्दो की तरह तुम्हारी भी यदि कोई प्रशंसा करे या कोई पेट भरकर निन्दा करे, तो दोनों दशाओं में समता रक्खो। यही समता की साधना ही मुक्ति का मार्ग है। बिन्दु में सिन्धु Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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