Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ स्वर्ग के बदले नरक खलीफा हारूँ रसीद ने सन्त फलिजानेन आयज के स्वभाव की बहुत ही प्रशंसा सुन रक्खी थी । वे उनके दर्शन के लिए पहुँचे । जैसा उन्होंने सन्त फलिजानेन के बारे में सुन रक्खा था, उससे भी उनको अधिक श्रेष्ठ पाया । अतः उपहार स्वरूप उन्होंने सन्त के चरणों में एक हजार अशर्फियाँ समर्पित कीं । सन्त ने मुस्कराते हुए कहा - "खलीफा साहब ! मैंने आपको स्वर्ग जाने का मार्ग बताया और उसके बदले में आप मुझे नरक का साधन दे रहे हैं ।" खलीफा सन्त की निस्पृहता देखकर चरणों में गिर पड़ा और अपने अपराध की क्षमा माँगने लगा । बिन्दु में सिन्धु Jain Education International For Private & Personal Use Only २३ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116