Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 31
________________ निन्दा सन्त ऑगस्टिन को किसी की निन्दा सुनना पसन्द नहीं था। उन्होंने अपने मकान की दीवारों पर अंकित करवा दिया था कि 'चुगलखोर के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है। यहाँ पर सिर्फ सच्चाई और अनुभूति का राज्य है।' ___ एक दिन कुछ मित्र उनसे मिलने के लिए आये । वार्तालाप में वे अपने एक साथी की निन्दा करने लगे जो उस समय वहाँ पर उपस्थित नहीं था। . सन्त ऑगस्टिन ने मधुर शब्दों में उपालम्भ देते हुए कहा-"मित्रो ! आपको या तो यह बात बन्द करनी होगी, या मुझे दीवार पर लिखे हुए ये शब्द मिटाने होंगे।" उन्होंने उसी समय निन्दा करना बन्द कर दिया। भगवान महावीर ने निन्दा को पीठ का माँस खाना बताया है। १८ बिन्दु में सिन्ध्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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