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ग्यारह
१९. करना, कराना और अनुमोदन करना एक है। २०. धर्म के साथ पुण्य होता है। पुण्य का बन्ध स्वतंत्र नहीं होता। २१. लौकिक उपकार और लोकोत्तर उपकार एक नहीं है। २२. संयमी को जो दिया जाए, वह दान मोक्ष का मार्ग है और असंयमी
को जो दिया जाए, वह दान संसार का मार्ग है। २३. अहिंसक सब जीवों के प्रति संयम करता है, इसलिए वह सब जीवों
की रक्षा करता है। सामाजिक प्राणी समाज की उपयोगिता को ध्यान में रखकर चलते हैं । वे अपने उपयोगी जीवों को बचाते हैं,
अनुपयोगी जीवों की उपेक्षा करते हैं। २४. मर्यादा का भाग्य व्यवस्थापक के हाथों में ही सुरक्षित रहता है । २५. तेरापन्थ में निर्णायकता के केन्द्र आचार्य होते हैं।