Book Title: Bharat ke Prachin Jain Tirth
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Jain Sanskriti Sanshodhan Mandal

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Page 23
________________ भारत के प्राचीन जैन तीर्थ me » Tura जनपद १ मगध २ अङ्ग ३ वङ्ग ४ कलिङ्ग ५ काशी ६ कोशल राजधानी राजगृह चम्पा ताम्रलिप्ति कांचनपुर वाराणसी साकेत गजपुर शौरिपुर काम्पिल्यपुर अहिच्छत्रा द्वारवती मिथिला कौशांबी नन्दिपुर भदिलपुर वैराट कुशावर्त ६ पांचाल १० जाङ्गल ११ सौराष्ट्र विदेह वत्स १४ शांडिल्य १५ मलय मत्स्य १७ वरणा दशाण चेदि २० मिन्धु-मौवीर शूरसेन २२ भंगि २३ बट्टा (?) २४ कुणाल २५ लाढ २५३ केकयी अर्ध. अच्छा मृत्तिकावती शुक्तिमती वीतिभय मथुरा पापा मासपुरी (?) श्रावस्ति कोटिवर्ष श्वेतिका कल्पसूत्र में उल्लिखित स्थविरावलि में जो जैन श्रमणों के निम्नलिखित गण, शाग्वा और कुलों का उल्लेख मिलता है, उससे भी पता चलता है कि ( २६ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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