Book Title: Bharat ke Prachin Jain Tirth
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Jain Sanskriti Sanshodhan Mandal

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Page 42
________________ उत्तरप्रदेश प्राचीन भारत के मध्यदेश के बहुसंख्यक जनपद आधुनिक उत्तरप्रदेश में आते हैं, इससे मालूम होता है कि प्राचीन काल में यह प्रदेश बहुत समृद्ध और उन्नत दशा में था । कौरव-पाण्डवों का निवास स्थान कुरु देश, रामलक्ष्मण की जन्मभूमि अयोध्या, कृष्ण महाराज के क्रीड़ास्थल मथुरा और वृन्दावन, बुद्धदेव की निर्वाणभूमि कुसीनारा, गणराजाओं के देश काशी और कोशल, मल्लों की राजधानियाँ कुमीनारा और पावा, तथा वाराणसी, प्रयाग, हरिद्वार, मथुरा, कौशांबी और मारनाथ जैसे पवित्र स्थान इमी प्रान्त की शोभा बढ़ाते हैं। १: पूर्वीय उत्तर प्रदेश काशी मध्यदेश का प्राचीन जनपद था । काशी के वस्त्र और चन्दन का उल्लेख बौद्ध जातकों में मिलता है । प्राचीन जैन सूत्रों में काशी और कोशल के अठारह गण राजाओं का ज़िक्र अाता है । काशी को जीतने के लिए कोशल के राजा पसेनदि और मगध के राजा अजातशत्रु में युद्ध हुआ था, जिसमें अजातशत्रु की विजय हुई और काशी को मगध में मिला लिया गया। जैन मान्यता के अनुसार यहाँ के राजा शंख को महावीर ने दीक्षित किया था। काशी व्यापार का बड़ा केन्द्र था । अाजकल की बनारस कमिश्नरी को प्राचीन काशी माना जाता है। वाराणसी ( बनारस ) काशी की राजधानी थी । वरणा और असि नामक दो नदियों के बीच होने के कारण इस नगर का नाम वाराणसी पड़ा । वाराणसी गंगा के किनारे बसी थी। इस स्थान को बुद्ध और महावीर ने ( ३५ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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