Book Title: Bharat ke Prachin Jain Tirth
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Jain Sanskriti Sanshodhan Mandal

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Page 94
________________ ૬૬ ५४ ३० संकिस्स ४३ सिणवल्ली (देखो सनावन) -संकिस सि-तो संकासिया सिद्धत्थपुर ११, १२ संखडि (उत्सव) ३१, ५०, ५४ सिद्धर्षि संथाल परगना २७ सिद्धवरकूट संभवनाथ ४० सिद्धसेन संभुत्तर—सुम्होत्तर सिद्धशिला स्कन्द १२ सिद्धार्थ स्तवनिधि ६४ सिन्ध स्तम्भन ५३ सिन्धु ४७,४८ -खम्भात सिन्धु–सौवीर १६,४८ स्थविरावति १६ सिरसी स्वर्गद्वार ३९ सिरोही स्वर्ण २० सिंहपुर सुवर्णभूमि २२, २५, ३४, ६५ सिंहपुर-सारनाथ ३६ -बरमा सिंहल साकेत ५, १४, १६, २०, ३८, ३९ -लंका -अयोध्या ४८ सीता सागर ५९ सुकुमालिया सागरखमण ३४ सुग्रीव सागरदत्त ५२ सुच्छेत्ता सातवाहन ६४ सुत्तिवइया सानलट्टिय १२ -सोइत्तिया सारनाथ-सारङ्गनाथ (देखो इसिपत्तन) सुधर्मा सालज्जा ११ सुनीघ सालाटवी ३३ सुपश्य सालिसीसय १० सुपार्श्वनाथ साहु टोडर ४४ सुप्रतिष्ठानपुर मवित्थिया (देखो श्रावस्ति) -प्रतिष्ठानपुर स्थाणुतीर्थ ___४६, ४८ सुन्मभूमि-सुह्म १०, ११, -स्थानेश्वर सुभूमिभाग स्थानांग २० सुभोम सिकन्दराबाद .६३ सुमंगल गाम ६६ १२ ३ " " ३६ 32 २ १२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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