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भारत के प्राचीन जैन तीर्थ
जातकों में ग्रान्ध्र की राजधानी का नाम अन्धपुर बताया गया है। अन्धपुर नगर का उल्लेख जैन ग्रन्थों में आता है । यह नगर तेलवाह नदी पर था ।
महाराष्ट्र के पूर्व-दक्षिण तेलुगु भाषा का समूचा क्षेत्र आन्ध्र या तेलंगण देश कहा जाता है।
वनवासी नगरी का उल्लेख ब्राह्मणों की हरिवंश पुराण में आता है । जैन ग्रन्थों के अनुसार यहाँ ससय और भसय नामक राजकुमारों ने अपनी बहन सुकुमालिया के साथ जैन दीक्षा ली थी।
छठी शताब्दि तक यह नगर कदंवों की राजधानी रही । ग्राजकल यह स्थान उत्तर कनाड़ा में मिरमी ताल्लुका में वरदा नदी के वाँये किनारे इमी नाम से मौजूद है । यहाँ प्राचीन अभिलेख मिले हैं ।
६ : गोल्ल गोल्ल देश के अनेक रीति-रिवाजों का उल्लेग्व जैन चूर्णि ग्रन्थों में मिलता है । जैन अनुश्रुति के अनुसार चन्द्रगुप्त का मंत्री चाणक्य यहीं का रहने वाला था। गोल्लाचार्य का उल्लेख श्रवणबेलगोला के शिलालेखों में पाता है। ___ इस देश की पहचान गुन्टूर ज़िले की गल्लरु नामक नदी पर गोलि स्थान से की जा सकती है । यहाँ बहुत से शिलालेख उपलब्ध हुए हैं, इससे भी इस स्थान की प्राचीनता प्रकट होती है।
७: द्रविड़ द्रविड़ ( दमिल ) तमिल का संस्कृत रूप है । द्रविड़ में पहले चोल, चेर और पाण्ड्य देश गर्भित थे । हुअन-साँग के समय द्रविड़ के उत्तर में कोंकण और धनकटक तथा दक्षिण में मासकूट था। जैन ग्रन्थों से पता लगता है कि प्रारंभ में यहाँ जैन साधुयों को वसति ( उपाश्रय ) आदि का कष्ट होता था ।
कांचीपुर द्रविड़ की राजधानी थी । बृहत्कल्पभाष्य से पता लगता है कि यहाँ नेलक नाम का सिक्का चलता था । यहाँ के दो नेलक कुसुमपुर (पटना)
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