Book Title: Bharat ke Prachin Jain Tirth
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Jain Sanskriti Sanshodhan Mandal

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Page 75
________________ भारत के प्राचीन जैन तीर्थ सुन्दर मान-स्तंभ है । इस मूर्ति को सन् १४३२ में कारकल नरेश वीर पांड्य ने निर्माण कराया था। वेणूर जैनों का केन्द्र था । कभी यहाँ अजलिर वंश के जैन राजाओं का राज्य था। उनमें से वीर निम्मराज ने सन् १६०४ में बाहुबलि स्वामी की विशाल प्रतिमा बमवाई थी। यह स्थान मूडबिद्री से बारह मील और कारकल से चौबीस मील है । मथुरा या दक्षिण मथुरा का उल्लेख प्राचीन जैन सूत्रों में आता है । इसे पांडु मथुरा भी कहते थे। कृष्ण के कहने से यहाँ पंच पांडव आकर रहे थे । यह स्थान व्यापार का बड़ा केन्द्र था । पुराने ज़माने में यहाँ के पंडित प्रसिद्ध होते थे। मथुरा की पहचान मद्रास सूबे के उत्तर में मदुरा नामक स्थान से की जाती है। ( ६८ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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