Book Title: Bharat ke Prachin Jain Tirth
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Jain Sanskriti Sanshodhan Mandal

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Page 70
________________ बरार-हैदराबाद-महाराष्ट्रकोंकण-भान्ध्र-द्रविड-कर्णाटक-कुर्ग आदि तगरा से आठ मील पर धाराशिव है । आराधना कथाकोष में तेर नगर और धाराशिव का वर्णन आता है । यहाँ बहुत सी गुफ़ाएँ हैं, जिन्हें राजा करकण्डू ने बनवाया था। अाजकल इस स्थान को उसमानाबाद कहते हैं । कुल्याक की गणना प्राचीन तीर्थों में की जाती है। यह क्षेत्र आदिनाथ का प्राचीन तीर्थ माना जाता है । उपदेशसप्ततिका में कुल्याक की कथा आती है। यहाँ आदिनाथ की प्रतिमा माणिक्यदेव के नाम से प्रख्यात है। ___ यह तीर्थ निज़ाम स्टेट में सिकन्दराबाद के पास है। अजन्ता और एलोरा नाम की प्राचीन गुफ़ाएँ भी इसी रियासत में हैं । अजंता की गुफ़ाओं में बौद्ध जातकों के अनेक दृश्य अंकित हैं। ये गुफ़ाएँ ईसा के पूर्व दूसरी शताब्दि से लेकर ईसवी सन् की छठी शताब्दि तक की मानी जाती हैं । एलोरा का प्राचीन नाम इलापुर है। यहाँ एक समूची पहाड़ी काटकर मन्दिरों में परिवर्तित कर दी गई है, जिनमें चूने - मसाले व कीलकाँटों का नाम नहीं। यह स्थान किसी ज़माने में मान्यखेट के राष्ट्रकूट राजाओं की राजधानी था । यहाँ ब्राह्मण, बौद्ध और जैनों के मन्दिर बने हुए हैं, जिनका समय ८वीं शताब्दि है। ऊखलद अतिशय क्षेत्र माना जाता है । यहाँ नेमिनाथ का मन्दिर है; प्रतिवर्ष माघ का मेला लगता है । यह स्थान निज़ाम स्टेट रेलवे के मीरखेल स्टेशन से तीन-चार मील है। आष्टे हैदराबाद रियासत में दुधनी स्टेशन के पास है । यहाँ जैन चैत्यालय बना हुआ है। कुंथलगिरि की गणना सिद्धक्षेत्रों में की जाती है । यहाँ से कुलभूषण और देशभूषण मुनियों का मोक्षगमन बताया जाता है । यह स्थान बार्सी टाउन रेलवे स्टेशन से लगभग बीस मील है । दहीगाँव महावीर का अतिशय क्षेत्र माना जाता है। यह स्थान शोला ( ६३ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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