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भारत के प्राचीन जैन तीर्थ
कौशांबी माना जाता है। यह नीर्थ विच्छिन्न है । यहाँ सूर्य की बड़ी भव्य सुन्दर मूर्ति है।
कौशांबी के पास प्रयाग था । महाभारत में इसका उल्लेख आता है । जैन ग्रन्थों में प्रयाग को तीर्थक्षेत्र माना गया है। यहाँ अगिकापुत्र को गङ्गा पार करते समय केवलज्ञान हुआ था। प्रयाग को दितिप्रयाग भी कहा गया है। पालि माहित्य में इसे पयागपतिद्वान कहा है ।
प्रयाग अाजकल गङ्गा, जमुना और मरस्वती (गुप्त) के संगम पर अवस्थित है। यह ब्राह्मणों का परम धाम माना जाता है। अक्षयवट यहाँ का परम पवित्र स्थान हैं । प्रयाग में मुण्डन का बड़ा माहात्म्य है । बादशाह अकबर के ममय से इसका नाम इलाहाबाद पड़ा।
सुप्रतिष्ठानपुर, प्रतिष्ठानपुर या पोतनपुर प्रयाग की राजधानी थी। यहाँ चन्द्रवंशी राजा राज्य करते थे। यह नगर गङ्गा के किनारे बसा था।
आजकल यह स्थान इलाहाबाद जिले में फंसी के पास है । दक्षिण के प्रतिष्ठान से यह भिन्न है।
तुङ्गिय संनिवेश कौशांबी के आसपास था। मेतार्य नामक महावीर के गणधर की यह जन्मभूमि थी।
प्राचीन काल में कोसल (अवध ) एक समृद्ध जनपद था। जैनों के आदि तीर्थंकर ऋषभदेव ने यहाँ जन्म लिया था, इसलिए वे कौशलिक कहे जाते थे। अचल गणधर का यह जन्मस्थान था, और यहाँ जीवन्तस्वामी प्रतिमा विद्यमान थी। कोशल के राजा पसेनदि का उल्लेख बौद्ध सूत्रों में याता है।
___ साकेत ( अयोध्या ) दक्षिण कोशल की राजधानी थी। ब्राह्मण पुराणों में अयोध्या को मध्यदेश की राजधानी कहा है । यह नगर रामचन्द्र जी की जन्मभूमि थी। रामायण में अयोध्या का वर्णन करते हुए कहा है--"सरयू नदी के किनारे पर अवस्थित यह नगरी धन-धान्य से परिपूर्ण थी, सुन्दर यहाँ
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