Book Title: Bharat ke Prachin Jain Tirth
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Jain Sanskriti Sanshodhan Mandal

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Page 35
________________ भारत के प्राचीन जैन तीर्थ किसी समय मिथिला प्राचीन भारतीय सभ्यता तथा विद्या का केन्द्र था । ईसवी सन् की हवीं सदी में यहाँ प्रसिद्ध विद्वान् मंडन मिश्र निवास करते थे, जिनकी पत्नी ने शङ्कराचार्य से शास्त्रार्थ कर उन्हें पराजित किया था। यह नगरी प्रसिद्ध नैयायिक वाचस्पति मिश्र की जन्मभूमि थी, तथा मैथिल कवि विद्यापति यहाँ के राजदरबार में रहते थे । नैपाल की सीमा पर जनकपुर को प्राचीन मिथिला माना जाता है । वैशाली विदेह की दूसरी महत्त्वपूर्ण राजधानी थी। वैशाली प्राचीन वजी गणतन्त्र की मुख्य नगरी थी । यहाँ के लोग लिच्छवि कहलाते थे । ये लोग आपस में इकट्ठे होकर प्रत्येक विषय की चर्चा करते, और सब मिलकर राज्य का प्रबंध करते थे। इन लोगों की एकता की प्रशंसा बुद्ध भगवान् ने की थी । वैशाली की कन्याओं का विवाह वैशाली में ही होता था । वैशाली गंडकी ( गंडक ) के किनारे बसी थी । बुद्ध और महावीर ने यहाँ अनेक बार विहार किया था । वैशाली महावीर का जन्म-स्थान था, इसलिए वे वैशालीय कहे जाते थे। दीक्षा के पश्चात् उन्होंने यहाँ १२ चातुर्मास व्यतीत किये। वैशाली मध्यदेश का सुन्दर नगर माना जाता था। बुद्ध के समय यह बहुत उन्नत दशा में था । यहाँ अनेक उद्यान, श्राराम, बावड़ी, तालाब तथा पोखरणियाँ थीं । अम्बापाली नाम की गणिका वैशाली की परम शोभा मानी जाती थी । बुद्ध ने यहाँ स्त्रियों को भिक्षुणी बनने का अधिकार दिया था । जैन ग्रन्थों के अनुसार चेटक वैशाली का प्रभावशाली राजा था। उसकी बहन त्रिशला महावीर की माता थी। चेटक काशी-कोशल के अठारह गणराजाश्रों का मुखिया था। राजा कृणिक और चेटक में घोर संग्राम हुआ, जिसमें चेटक पराजित हो गया, और कुणिक ने वैशाली में गधों का हल चलाकर उसे खेत कर डाला। हुअन-सांग के समय वैशाली उजाड़ हो चुकी थी। मुज़फ़्फ़रपुर जिले के वसाढ ग्राम को प्राचीन वैशाली माना जाता है । वैशाली के पास कुण्डपुर नाम का नगर था। यहाँ महावीर का जन्म हुआ था। कुण्डपुर क्षत्रियकुण्डग्राम और ब्राह्मणकुण्डग्राम नामक दो मोहल्लों में बँटा था। पहले मोहल्ले में क्षत्रिय और दूसरे में ब्राह्मण रहते थे । कुण्डपुर (२८) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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