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पद शुक्लवर्णपणे पण परिणत होय. [म.] हे भगवन् ! जो ते एक द्रव्य गंधपणे परिणत होय तो शं सुगंधपणे परिणत होय के दुर्गध-II व्याख्या
|पणे परिणत होय ? [उ०] हे गौतम ! ते सुगंधपणे परिणत होय अने दुगंधपणे पण परिणत होय. [प्र०] जो ते एक द्रव्य रस- ८ शतके प्रज्ञप्तिः परिणत होय तो शुं तिक्तरसपरिणत होय ? इत्यादि. [उ०] हे गौतम ! ते तिक्तरसपरिणत होय यावत् मधुररसपणे परिणत होय. उद्देशः१
[प्र०] हे भगवन् ! जो एक द्रव्य स्पर्शपरिणत होय तो ते शुं कर्कशपरिणत होय के यावत् रूक्षस्पर्शपरिणत होय? [उ०) हे गौतम ! ॥६०१॥ || ते कर्कशस्पर्शपणे परिणत होय, यावत् रूक्षस्पर्शपणे परिणत होय. [प्र०] हे भगवन् ! एक द्रव्य संस्थानपरिणत होय तो शुं ते
परिमंडलसंस्थानपणे परिणत होय के यावत् आयतसंस्थानपणे परिणत होय ? [उ०] हे गौतम ! ते परिमंडलसंस्थानपणे परिणत A होय के यावत् आयतसंस्थानपणे पग परिणत होय. ॥ ३१२ ॥
दो भंते ! दवा किं पयोगपरिणया मीसापरिणया वीससापरिणया?, गोयमा! पओगपरिणया वा १ | मीसापरिणया वा २ वीसमापरिणया वा ३ अहवा एगे पओगपरिणए एगे मीसापरिणए ४ अह| वेगे पओगप० एगे वीससापरि०५ अहवा एगे मीसापरिणए एगे वीससापरिणए, एवं ६। जइ पओगपरि|णया किं मणप्पयोगपरिणया वइप्पयोग कायप्पयोगपरिणया?, गोयमा ! मणप्पयो० वइप्पयोगप० काय
प्पयोगपरिणया वा, अहवेगे मणप्पयोगप० एगे वयप्पयोगप०,अहवेगे मणप्पयोगपरिणए एगे कायप०,अहवेगे| | वयप्पयोगप० एगे कायप्पओगपरि०, जइ मगप्पयोगप० किं सच्चनणप्पयोगप० ४?, गोयमा ! सच्चमणप्पयोगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणप्पयोगप० १ अहवा एगे सच्चमणप्पयोगपरिणए एगे मोसमणप्पओगप
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