Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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८शतके
असुभनामकम्माजाव पयोगबंधे। उपागोयकम्मासरीरपुरुछा, गोयमा! जातिअमदेणं कुलभमदेणं बलअमदेणं रूबध्याख्या अमदेणं तवअमदेणं सुयअमदेणं लाभअमदेण इस्सरियअमदेणं उच्चागोयकम्मासरीरजाव पयोगधंधे, नीयागोयकप्रमतिः
म्मासरीरपुच्छा, गोयमा! जातिमदेणं कुलमदेणं बलमदेणं जाव इस्सरियमदेणं णीयागोरकम्मासरीरजावपयोग॥७२१॥
बंधे। अंतराइयकम्मासरीरपुच्छा,गोयमा!दाणंतराएण लाभतराएणं भोगंतराएणं उपभोगतराएणं बीरियंतराएणं | अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं अंताइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे॥ [प्र०] अशुभनामकार्मणशरीरपयोगबन्ध संबन्धे प्रश्न. [उ.] हे गौतम ! कायनी वक्रताथी, भावनी वक्रताथी, भाषानी वक्रताथी, अने योगना विसंवादनपणाथी-भिन्नताथी अशुभनामकार्मणशरीरमयोगमामकर्मना उदयथी यावत प्रयोगवन्ध थाय छे. [१०] उच्च गोत्रकार्मणशरीरपयोगबन्ध संबन्धे प्रश्न [उ.] हे गौतम ! जातिमद न करवायी, कुलमद न करवाथी बलमद म करवाथी, रूपमद
| न करवायी, तपमद म करवाथी, श्रुतमद न करवाधी, लाभमद न करवायी अने ऐश्वर्यमद न करवायी, तथा उचगोत्रकार्मणशरीर|| प्रयोगनाकर्मना उदयथी उच्चगोत्रकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध थाय छे. [म.] नीचगोप्रकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध संबन्थे प्रश्न. [उ.] हे गौ-15
तम ! जातिमद करवाथी, कुलमद करवायी, बलमद करवाथी, यावद् ऐश्वर्यमद करवायी तथा नीचगोत्रकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्मना उदयथी नीचगोत्रकार्मणशरीरमयोगवन्ध धाय छे. [प्र०] अंतरायकार्मणशरीरपयोगबन्ध संबन्धे प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! दाननो अन्तराय करवायी, लाभनो अन्तरायकरवाधी, भोगनोअन्तराय करवाथी, उपभोगमो अम्तराय करपाथी अने वीर्यनो अन्तराय करवापी तथा अन्तरायकार्मणशरीरमयोगनामकर्मना उदयथी अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगपन्ध थाय छे.
SHASHA
॥७२॥
SMSUSMSAX
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