Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 150
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥७२० ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्देशः ९ 1102011 प्रयोगवन्ध कया कर्मना उदयथी थाय छे ? [उ०] हे गौतम! सवीर्यता, सयोगता अने सद् द्रव्यताथी यावद् आयुष्यने आश्रयी तेजसशरीर प्रयोगनामकर्मना उदयथी तैजसशरीरनो प्रयोगबन्ध थाय छे. [प्र० ] हे भगवन् ! तैजसशरीरप्रयोगबन्ध शुं देशबन्ध छे के २८ शतके सर्वबन्ध छे? [उ० ] हे गौतम! देशबन्ध हे पण सर्वबन्ध नथी. [प्र०] हे भगवन् ! तैजसशरीरप्रयोगबन्ध कालथी क्यां सुधी होय ? [30] हे गौतम! तैजसशरीरमयोगबन्ध वे प्रकारनो को छे. ते आ प्रमाणे- १ अनादि अपर्यवसित अने २ अनादि सपर्यवसित [प्र० ] हे भगवन् ! तैजसशरीरप्रयोगवन्धनुं अन्तर कालथी क्यां सुधी होय ? [अ०] हे गौतम! अनादि अपर्यवसित अने अनादि सपर्यवसित ए बन्ने प्रकारना तैजसशरीरप्रयोगबन्धतुं अन्तर नथी. [प्र०] हे भगवन् ! ए तैजसशरीरना देशवन्धक अने अन्धक जीवोमां कया जीवो कया जीवोथी यावद् विशेषाधिक छे ? [अ०] हे गौतम! तैजसशरीरना अबन्धक जीवो सौथी थोडा छे, तेथी देशबन्धक जीवो अनन्तगुण छे. ॥ ३४९ ॥ कम्मासरीरपयोगबंधे णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते ?, गोयमा ! अट्ठविहे पण्णत्ते, तंजहा-नाणावरणिजकम्मासरीरप्पयोगबंधे जाव अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे । णाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदपणं १, गोयमा ! नाणपडिणीययाए णाणणिण्हवणयाए णाणतराएणं णापाप्पदोसेणं णाणच्चासादणाए णाणविसंवादणाजोगेणं णाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं णाणावरणिजकम्मासरीरप्पयोग बंधे । दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदरणं, गोपमा ! दंसणपडिणीययाए, एवं जहा णाणावरणिज्जं नवरं दंसणनाम घेत्तव्वं जाव दंसणविसंवादणाजोगेणं दरिसणावर णिज्जकम्मास For Private and Personal Use Only

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