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प्रतिः
९ शतके उद्देशान ॥७७३॥
४ाएगे अहेसत्तमाए होजा, एवं एक्केक्का पुढवी छडेयव्वा जाव अहवा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ॥ व्याख्या
[प्र.] हे भगवन् ! प्रवेशनक (उत्पत्ति) केटला प्रकारे कहेल छ ? [उ०] हे गांगेय ! प्रवेशनक चार प्रकारे कह्यां छे. ते आ
| प्रमाणे-१ नैरयिकप्रवेशनक, २ तियचयोनिकप्रवेशनक, ३ मनुष्यप्रवेशनक अने ४ देवप्रवेशनक. [प्र०] हे भगवन् ! नैरयिकप्रवे ॥७७३॥ शनक केटला प्रकारे कयुछे ? [उ.] हे गांगेय ! सात प्रकारे का छे. ते आ प्रमाणे-१ रत्नप्रभापृथिवीनैरयिकप्रवेशनक, यावद् ७
अधःसप्तमपृथिवीनैरयिकप्रवेशनक. [प्र०] हे भगवन् ! एक नारक जीव नैरयिकप्रवेशनकद्वारा प्रवेश करतो शुं १ रत्नप्रभापृथिवीमां होय, २ शर्कराप्रभापृथिवीमां होय के यावद् ७ अधःसप्तमपृथिवीमां होय ? [उ.] हे गांगेय ! ते १ रत्नप्रभापृथिवीमां पण होय, यावद् ७ अधःसप्तमपृथिवीमां पण होय. [प्र.] हे भगवन् ! बे नारको नैरयिकप्रवेशनकद्वारा प्रवेश करता शुं रत्नप्रभापृथिवीमां उत्पन्न थाय के यावद् अधःसप्तमपृथिवीमा उत्पन्न थाय ? [उ०] हे गांगेय! ते बन्ने १ रन्तप्रभापृथिवीमां होय, के यावद् ७ अधः| सप्तमनरकपृथिवीमां होय. १ अथवा एक रत्नप्रभापृथिवीमां होय अने एक शर्कराप्रभापृथिवीमां होय. २ अथवा एक रत्नप्रभापृथिवीमां होय अने एक वालुकाप्रभापृथिवीमा होय. यावत् ६ एक रत्नप्रभामां होय अने एक अधःसप्तमनरकपृथिवीमां होय. (३ एक रत्नप्रभापृथिवीमां होय अने एक पंकप्रभापृथिवीमा होय. ४ अथवा एक रत्नप्रभापृथिवीमां होय अने एक धूमप्रभापृथिवीमा होय. ५ अथवा एक रत्नप्रभापृथिवीमां होय अने एक तमःप्रभापृथिवीमां होय. ६ अथवा एक रत्नप्रभापृथिवीमा होय अने एक तमातमःप्रभापृथिवीमा होय. ए रीते रत्नप्रभा साथे छ विकल्प थाय छे.) १ अथवा एक शर्कराप्रभापृथिवीमां होय अने एक वालुकाप्रभारथिवीमा | होय. यावत् ५ अथवा एक शर्कराप्रभामां होय अने एक अधःसप्तम नरकपृथिवीमां होय. (२ एक शर्कराप्रभापृथिवीमां होय अने
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