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९ शतके उद्देश: ॥७७५॥
सत्तमाए होज्जा १७ अहवा दो सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा जाब अहवा दो सकरप्पभाए एगे अहेसव्याख्या- त्तमाए होज्जा २२ एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तब्वया भणिया तहा सव्वपुढवीणं भाणियव्वा जाव अहवा दो त
माए एगे अहेमत्तमाए होजा, ४-४-३-३-२-२-१-१ (४२) ॥७७५॥ । [प्र०] हे भगवन् ! नैरयिकप्रवेशनकवडे प्रवेश करता त्रण नैरयिको शुं रत्नप्रभामां होय के यावत् अधःसप्तम पृथिवीमां होय ?
[उ०] हे गांगेय ! ते त्रण नैरयिको १ रत्नप्रभामां पण होय अने यावत् ७ अधःसप्तम पृथिवीमां पण होय. १ अथवा एक रत्नप्र
भामा अने बे शर्कराप्रभामां होय. यावत् ६ एक रत्नप्रभामां होय अने वे अधःसप्तम नरकमा होय. (ए प्रमाणे १-२ ना रत्नप्रभानी है।साथे अनुक्रमे बी जी नरकपृथिवीओनो संयोग करता छ विकल्प थाय.) १ अथवा बे रत्नप्रभामां अने एक शर्कराप्रभामा होय. यावत् |६ वे रत्नप्रभामां होय अने एक अधःसप्तम नरकपृथिवीमा होय (ए प्रमाणे २-१ ना वीजा छ विकल्पो थाय) १ अथवा एक शर्क
राप्रभामां अने बे वालुकाप्रभामा होय. यावत् ५ अथवा एक शर्कराप्रभामां अने बे अधःसप्तम नरकमा होय. (ए रीते १-२ ना पांच विकल्प थाय.) १ अथवा बेशर्कराप्रभामां अने एक वालुकाप्रभामां होय, यावत् ५ अथवा वे शर्कराप्रभामां अने एक अधःसप्तम पृथिवीमा होय. (ए प्रमाणे २-१ ना पांच विकल्प थाय.) जेम शर्कराप्रभानी वक्तव्यताकही म साते पृथिवीओनी कहेवी. (ते आ प्रमाणे-१ एक वालुकाप्रभामां अने बे पंकप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् ४ एक वालुकाप्रभामां अने बे तमतमापृथिवीमां होय. एवी रीते १-२ ना चार विकल्प थाय. १ अथवा वे बालुकाप्रभामां होय अने एक पंकप्रभामां होय ए प्रमाणे यावत् ४ चे वालुकाप्रभामां होय अने एक तमतमामां होय. ए प्रमाणे २-१ ना चार विकल्प थाय.१ अथवा एक पंकप्रभामां होय अने वे धूमप्रभामां
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