________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
व्याख्या
प्रज्ञप्तिः
॥७७४॥
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
एक पंकप्रभा पृथिवीमां होय ३ अथवा एक शर्कराप्रभापृथिवीमां होय अने एक धूमप्रभापृथिवीमां होय, ४ अथवा एक शर्कराप्रभाटथिवीमां होय अने एक तमःप्रभापृथिवीमां होय, ५ अथवा एक शर्कराप्रभापृथिवीमां होय अने एक तमःतमापृथिवीमां होय ए प्रमा पांच विकल्प शर्कराप्रभा साथे थाय छे.) १ अथवा एक वालुकाप्रभामां होय अने एक पंकप्रभामां होय. (२ अथवा एक वालुकाप्रभामां होम अने एक धूमप्रभामां होय, ३ अथवा एक वालुकाप्रभामां होय अने एक तमःप्रभामां होय.) ए प्रमाणे यावत् ४ अथवा एक वालुकाप्रभामां होय अने एक अधः सप्तम नरकपृथिवीमां होय. ए प्रमाणे आगलआगलनी एक एक पृथिवी छोडी देवी, यावत् | एक तमामां होय अने एक अधः सप्तम नरकमां होय. (एटले वालुकाममा साथे चार विकल्प थाय छे. १ अथवा एक पंकप्रभामां होय अने एक धूमप्रभामां होय. २ अथवा एक पंकप्रभामां होय अने एक तमःप्रभामां होय, ३ अथवा एक पंकप्रभामां होय अने एक तमःतमामां होय. ए रीते पंकप्रभा साथै त्रण विकल्प थाय छे. १ अथवा एक धूमप्रभामां होय अने एक तमःप्रभामां होय, २ अथवा एक धूमप्रभामां होय अने एक तमःतमामां होय. ए प्रमाणे धूमप्रभा साथै वे विकल्प थाय छे. १ अथवा एक तमःप्रभामां होय अने एक तमतमाप्रभामां होय. ए रीते तमःप्रभा साथै एक विकल्प थाय छे)
तिन्नि भंते!नेरया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होजा?, गंगेयारियणभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्प भाए होज्जा जाव अहवाएंगे रयणप्पभाए दो अहेमतमाए होजा६ अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए होजा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा १२ अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो आहे
For Private and Personal Use Only
९ शतके
उद्देशः ५
| ॥७७४॥