Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 212
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञप्तिः // 782 // ९शतके उद्देश:५ // 782 // REAMSUBSRIS रत्नप्रभामां वे शर्कराप्रभामां अने एक अधःसप्तम नरकपृथिवीमा होय. (एम 1-2-1 ना पांच विकल्प थया.) अथवा बे रत्नप्रभामां एक शर्कप्रभामां अने एक वालुकाप्रभामां होय ए प्रमाणे यावत् 5 बे रत्नप्रभामा एक शर्कराप्रभामां अने एक अधःसप्तम नरकप्पथिवीमा होय. (ए रीते 2-1-1 ना पांच विकल्प थया, अने त्रणे विकल्पना मळीने पंदर विकल्पो थया.) 1 अथवा एक रत्नप्रभाभां एक वालुकाप्रभामां अने बे पंकप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् 4 एक रत्नप्रभामां एक वालुकाप्रभामां अने बे अधःसप्तम पृथिवीमां होय. ए प्रमाणे ए पाठवडे जेम त्रण नैरयिकनो त्रिकसंयोग कह्यो तेम चार नैरयिकोनो पण त्रिकसंयोग कहेवो. यावत् अथवा 105 बे धूमप्रभामां एक तमःप्रभामां अने एक अधःसप्तम नरकमां होय. ___अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा 1 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे धूमप्पभाए होजा 2 अहवा एगे रयण० एगे सक्कर०एगे वालुय०एगे तमाए होन्जा 3 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 4 अहवा एगे रयण एगे सक्कर० एगे पंक० एगे धूमप्पभाए 5 अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे पंकप्पभा० एगे तमाए होज्जा 6 अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होजा 7 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर० एगे त धूम० एगे तमाए होजा 8 अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होज्जा 9 अहवा एगे रयण. एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 10 अहवा एगे रयण. एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूमप्प| भाए होना 11 अहवा एगे रयण० एगे बालुय० एगे पंक० एगे तमाए होजा 12 अहवा एगे रयण एगे वालुय. FIRSARKACKAGARATIKA For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 210 211 212